इस प्रकार अकस्मात् आक्रमण होने पर भी शरीररक्षी सेना डरी या
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द्वितीय महा समर (सन् १ ९ ३ ९ से १ ९ ४ ५) के अवसर पर भी जब जर्मन सेना ने अकस्मात् आक्रमण करके रूस के एक बडे़ भाग पर कब्जा कर लिया और वहाँ के स्त्री-पुरुषों को घोर कष्ट दिये, तब भी वहाँ अनेक स्त्रियाँ ऐसी निकलीं जिन्होंने जर्मन सेना की परवाह न करके उनके विरुद्ध संघर्ष किया।