सो कलिंग के विजेता देवों के प्रिय को अनुशय (अनुशोचन; पछतावा) है।
3.
अनुशय की हानि का उपाय विशेष रूप से बौद्धों ने बताया है।
4.
ये ही अनुशय संयोजन, बंधन ओघ, आस्रव आदि शब्दों द्वारा भी व्यक्त किए गए हैं।
5.
अन्य दर्शनों में वासना, कर्म, अपूर्व, अदृष्ट, संस्कार आदि नाम से जिस तत्व को बोध होता है उसे बौद्धों ने अनुशय कहा है।
6.
क्या जन्म जन्मान्तर की स्मृतियों के अनुशय जो चित्त में रहते हैं इस कथित मौलिक को प्रकट करनें में सहायक नहीं होते? हाँ,जो पुनर्जन्म नहीं मानते उनके लिए तो नीम का पेटेन्ट भी मौलिक हो सकता है।
7.
आचार्य वसुबन्धु ने सर्वास्तिवादी दृष्टिकोण से अभिधर्मकोश (कारिका तथा भाष्य) के आठ कोशस्थानों-धातु, इन्द्रिय, लोकधातु, कर्म, अनुशय, आर्यपुद्गल, ज्ञान और ध्यान तथा परिशिष्ट रूप पुद्गलकोश (भाष्य) में अभिधर्म के सिद्धांतों का विशद रूप से उपन्यास किया है।