भारत पट्टी के पीछे आँखों में है दूर दृष्टि का भ्रम पाले किन्तु अन्धा सा! भारत खड़ा है स्तब्ध निह्सहाय गांधारी धृतराष्ट्र को टटोल रही है और धृतराष्ट्र? वह न आत्मावलोकन कर पा रहा है न गांधारी को देख पा रहा है दोनों में एक समानता है अंधेपन की एक संजय चाहिए भारत को, जो आगे बढ़कर गांधारी की आँखों से पट्टी नोच ले झंझोड़ दे अंधी चेतना को बस........! इतने से काम के लिए एक संजय चाहिए क्योंकि बाकी सब अपने आप हो जायेगा!!