आनन्द रामायण वाक्य
उच्चारण: [ aanend raamaayen ]
"आनन्द रामायण" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- आनन्द रामायण ' में भक्ति की प्रधानता है।
- रावण का उल्लेख पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्मपुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि ग्रंथों में आता है।
- पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्मपुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि ग्रंथों में रावण का उल्लेख हुआ है।
- पद्म पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्म पुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि ग्रंथों में रावण का उल्लेख हुआ है।
- कूर्मपुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण आदि ग्रंथों में रावण का उल्लेख तरह-तरह से मिलता है।
- ४॰ आनन्द रामायणः-आनन्द रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि को माना गया है, परन्तु यह ‘अध्यात्मरामायण' के उपरान्त लिखी गई है, क्योंकि इस पर अध्यात्मरामायण का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है ।
- मूल रामकथा के रूप में वाल्मीकि रामायण के अतिरिक्त जो अन्य रामायण लोकप्रिय हैं, उनमें अध्यात्म रामायण, आनन्द रामायण, अद्भुत रामायण, तथा तुलसीकृत रामचरित मानस आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
- मूल रामकथा के रूप में वाल्मीकि रामायण के अलावा जो अन्य रामायण लोकप्रिय हैं, उनमें अध्यात्म रामायण, आनन्द रामायण, अद्भुत रामायण, तथा तुलसीदास की लिखी रामचरित मानस उल्लेखनीय हैं।
- आनन्द रामायण में वर्णन है कि अर्जुन द्वारा त्रेतामें राम-सेतु निर्माण की आलोचना करते हुए अहंकारवशशर-सेतु निर्मित कर श्रेष्ठता सिद्ध करते समय हनुमानजी के पग धरते ही सेतु भंग होने से अर्जुन का अहंकार नष्ट हुआ।
- आनन्द रामायण में मारूतिनन्दन की उत्पत्ति की कथा इस प्रकार कही गई है किब्रह्म्लोक की दिव्य अप्सराओं में से सुवर्चला नामक अप्सरा की कुचेष्टासे क्रुद्ध होकर पितामह ने उसे मृत्युलोक में गृघ्री हो जाने का शाप देदिया.
- [2] महानाटक तथा आनन्द रामायण में ऐसा उल्लेख है कि अगले जन्म में वालि शिकारी के रूप में आखेट के भ्रम में कृष्ण-जो कि विष्णु के अगले अवतार हैं-की हत्या कर देता है।
- आनन्द रामायण में वर्णन है कि अर्जुन द्वारा त्रेता में राम-सेतु निर्माण की आलोचना करते हुए अहंकारवश शर-सेतु निर्मित कर श्रेष्ठता सिद्ध करते समय हनुमानजी के पग धरते ही सेतु भंग होने से अर्जुन का अहंकार नष्ट हुआ।
- [2] महानाटक तथा आनन्द रामायण में ऐसा उल्लेख है कि अगले जन्म में वालि शिकारी के रूप में आखेट के भ्रम में कृष्ण-जो कि विष्णु के अगले अवतार हैं-की हत्या कर देता है।
- ग. ^ पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्मपुराण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित एवं रामचरितमानस में राम के विष्णु का अवतार होने का स्पष्ट उल्लेख है, किन्तु वाल्मीकि रामायण में केवल इसका संकेत मात्र ही है।
- आनन्द रामायण में उनके द्वारा अनेक असुरों का वध होता है जबकि अद्भुत रामायण में वह सहस्रस्कंध रावण का वध करने के लिये रौद्ररूप धारण करती हैं तथा ताण्डव नृत्य प्रारंभ कर देती हैं जिससे महाकाल तक कांप उठते हैं।
- किन्तु आनन्द रामायण, (राज्यकाण्ड, पूर्वार्द्ध, अध्याय 5-6) में विस्तार पूर्वक लिखा गया है कि कुंभकरण के मूल नक्षत्र में उत्पन्न पुत्र “ मूलकासुर ” ने श्री राम के राज्याभिषेक पश्चात अयोध्या पर आक्रमण किया और श्रीराम को युद्ध में परास्त करने के पश्चात देवी सीता नें चंडिकास्त्र द्वारा उस राक्षस का वध किया.
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