| 1. | स्वाध्याय से विद्वता आर्ष श्रेणी मेंपहुंच जाती है.
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| 2. | श्रीमद्भगवद्गीता मानव धर्म का उद्घोषक आर्ष ग्रन्थ है।
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| 3. | आर्ष परम्परा के पोषक आचार्य श्री ज्ञानेश्वर जी
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| 4. | चरक-सुश्रुत आदि आर्ष संहिताओं में नहीं लिखा है।
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| 5. | आर्ष ग्रन्थों का अनुवाद कार्य अति कठिन है।
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| 6. | को मैं आर्ष काव्य का आदर्श मानता हूँ।
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| 7. | अर्थात भरतमुनि का सौन्दर्य चिंतन भी आर्ष परम्परा
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| 8. | यह आर्ष = आर्य लोगों के लिए है।
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| 9. | महाबोल (आर्ष सत्य) की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति हुई है,
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| 10. | आर्ष वाणी ध्यान रहे, असत्य के मार्ग पर
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