राज्य की पिछली राजद सरकार के कार्यकाल, सितम्बर 2002 में ही भारत सरकार ने बिहार औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला को सुक्ष्मजीवी दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए हाई परफारमेंस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी मशीन प्रदान किया था.
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इसके लिए औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला ने कोई पहल भी नहीं और न ही खाद्य प्रयोगशाला के संबंध में सिविल कार्य का अनुश्रवण ही किया इसके बावजूद बीडीसीएल के प्रभारी अधिकारी में जुलाई 2008 में मशीन करने परिचालन में बता कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया जिस पर कैग ने, आपत्ति जताते हुए उनका जवाब स्वीकार्य नहीं किया उनका तर्क था कि कोई सिविल या विद्युत कार्य प्रारम्भ नहीं किया फिर किस प्रकार मशीन कार्य करने लगा.
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औषधि नियंत्रण विभाग के आलाधिकारियों एवं नकली दवा निर्माताओं की सांठ-गांठ के कारण पटना स्थित औषधि प्रयोगशाला में मशीन आ जाने के बावजूद अब तक हाई परफारमेंस लिक्विड को मेटोग्राफी (एच. पी. एल. सी) मशीन स्थापित नहीं हो पाया है, जबकि भारत सरकार ने बिहार औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला (बीडीसीएल) अगमकुंआ, पटना को सुक्ष्मजीवी दवाओं की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए 10.18 लाख रुपये की लागत वाली यह मशीन सितम्बर 2002 में ही उपलब्ध करा दी थी.