मगर चूँकि उसकी उम्र 18 साल से छह महीने कम है, सो अब उसपर किशोर-न्यायालय में मुकदमा चलेगा और वह एक तरह से बाइज्जत बरी हो जायेगा।
2.
अगर कोई आरोपित नाबालिग है भी, तो अपराध की जघन्यता एवं वीभत्सता को देखते हुए उसे किशोर-न्यायालय में नहीं भेजा जायेगा, बल्कि सभी आरोपितों पर सामान्य अदालत में ही मुकदमा चलेगा।
3.
सन्दर्भ नं. 2: उस देश के किशोर-न्यायालय ने एक आरोपित को स्कूल में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर नाबालिग घोषित कर दिया ; जबकि पुलिस जाँच में यह साबित हो गया है कि उसी आरोपित ने वहशीपन की सारी हदें पार की थीं।