कुंजी मुख से कन गिरा, खुटै न वाको आहार कौड़ी कन लेकर चली, पोषन दे परिवार संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते …
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कुंजी मुख से कन गिरा, खुटै न वाको आहार कौड़ी कन लेकर चली, पोषन दे परिवार संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि खाते हुए हाथी के मुख से यदि अन्न का दाना गिर जाये तो उसके आहार पर कोई अंतर नहीं पड़ता पर उसे चींटी ले जाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती है।