| 1. | इसके बाद ही, या साथ साथ, नया कूटपाद बनने लगता है।
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| 2. | इसके बाद ही, या साथ साथ, नया कूटपाद बनने लगता है।
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| 3. | कूटपाद द्वारा संचरित इस वर्ग के जीव द्विविभाजन द्वारा वंशवृद्धि करते हैं।
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| 4. | कूटपाद द्वारा संचरित इस वर्ग के जीव द्विविभाजन द्वारा वंशवृद्धि करते हैं।
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| 5. | इसके शरीर के कुछ अस्थायी प्रवर्ध निकलते हैं जिनको कूटपाद (नकली पैर) कहते हैं।
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| 6. | इसके शरीर के कुछ अस्थायी प्रवर्ध निकलते हैं जिनको कूटपाद (नकली पैर) कहते हैं।
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| 7. | ये रंभाकार और ऊँची होती हैं तथा इनके स्वतंत्र तलों से कई कूटपाद निकलते हैं।
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| 8. | पहले चलन की दिशा में एक कूटपाद निकलता है, फिर उसी कूटपाद में धीरे-धीरे सभी कोशारस बहकर समा जाता है।
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| 9. | पहले चलन की दिशा में एक कूटपाद निकलता है, फिर उसी कूटपाद में धीरे-धीरे सभी कोशारस बहकर समा जाता है।
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| 10. | पहले चलन की दिशा में एक कूटपाद निकलता है, फिर उसी कूटपाद में धीरे-धीरे सभी कोशारस बहकर समा जाता है।
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