कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार-‘ मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता.
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कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार-हिंदी कविता की नई पीढ़ी में मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है, क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता।
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कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार-हिंदी कविता की नई पीढ़ी में मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है, क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता।
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कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार-हिंदी कविता की नई पीढ़ी में मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है, क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता।