वह आज भी बाहों के घेरे रहना चाहती है और सीप की मोती बनी रहना चाहती है.
3.
इसमें आर्थिक बाधा का होना, उन्नति में रुकावट आना, घर में रोग घेरे रहना जैसी घटना घटती रहती है।
4.
इसमें आर्थिक बाधा का होना, उन्नति में रुकावट आना, घर में रोग घेरे रहना जैसी घटना घटती रहती है।
5.
दुनिया में जिनकी अनेक ज़रूरतें हैं, मुझ-जैसे प्रयोजनहीन जीव के अकारण उनकी जगह घेरे रहना लोग कैसे सह सकते हैं?
6.
चूंकि अलका जी ने यह कविता जो मन में आया वैसा लिख दिया वाले अंदाज में लिखी है. स्वत:स्फूर्त है यह.ऐसे में ये अपेक्षा रखना ठीक नहीं कि सारे बिम्ब ठोक बजाकर देखे जायें.पर यह कविता एक दूसरे नजरिये से भी विचारणीय है.अलका जी की कविता के माध्यम से यह पता चलता है कि आज की नारी अपने प्रेमी में क्या खोजती है.वह आज भी बाहों के घेरे रहना चाहती है और सीप की मोती बनी रहना चाहती है.