शनि को काल पुरुष का दुःख माना गया है, यह कृष्णवर्णी कृशाड्गी सुनयना, वृद्धावस्था वाले नपुंसक लिंगी, शुद्ध जातीय, रूक्ष केश एवं मोटे दाँत व नखयुक्त दुर्ग आकृति वाले द्विपादी (मतान्तर से चतुष्पादी) के रूप में ज्योतिर्विदों द्वारा चित्रांकित किए गए हैं।