कहीं विशेषत: छोटे छोटे छंदों के चरणांत में, अब भी लगती हैं।
2.
चरणांत में ही नहीं, वर्णवृत्तों के बीच में भी ये चलते रूप बराबर दिखाए जा
3.
पहला विराम चरणांत या छंदांत का था, दूसरे और तीसरे दो पदों के बीच के थे।
4.
पहला विराम चरणांत या छंदांत का था, दूसरे और तीसरे दो पदों के बीच के थे।
5.
चरणांत में ही नहीं, वर्णवृत्तों के बीच में भी ये चलते रूप बराबर दिखाए जा सकते हैं जैसे-
6.
इससे इनकी पदावली में बहुत कुछ सरसता और कोमलता आई, यद्यपि कुछ ऊबड़खाबड़ और अव्यवहृत संस्कृत शब्दों की ठोकरें कहीं कहीं विशेषत: छोटे छोटे छंदों के चरणांत में, अब भी लगती हैं।
7.
चइता की लय इतनी विलंबित होती है कि आकार-प्रकार में छोटा होते हुए भी चरणांत तक जाते-जाते सांस टूटकर करुण रस में बदल जाती है:-धावत राम बकईंयां हो रामा, धूरी भरे तन ।
8.
चरणांत में एक लघु तथा एक गुरु वर्ण होना आवश्यक 190 हरिगीतिका के उदाहरण है--जो चाहता संसार में कुछ मान औ सम्मान है, उसके लिए इस मंत्र से बढ कर न और विधान है-जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है, वह नर नहीं नर पशु निरा है और मृतक समान है।