जाब्ता दीवानी (सिविल प्रोसीजर कोड) किसी भी तरह गले न उतरता था ।
3.
21-37 जाब्ता दीवानी एवं आदेश 39 नियम दो अ के तहत दी जाने वाली सजा को सिविल कारवास कहा जाता है।
4.
दिनांक-3. 11.2008 को ही वादी की ओर से प्रार्थना पत्र-6-क आदेश-40 नियम-1 जाब्ता दीवानी के अन्र्तगत रिसीवर नियुक्त किए जाने हेतु प्रस्तुत किया गया।
5.
निस्तारण वाद-बिन्दु सं 0-5 इस वाद-बिन्दु के अन्तर्गत यह साबित किया जाना है कि क्या मूलवाद सं0-596 / 1990 वाद अन्तर्गत धारा-35ए जाब्ता दीवानी से बाधित है।
6.
वरिष्ठ अधिवक्ता सैय्यद दौलत अली के अनुसार सिविल कारावास का तात्पर्य यह है कि यह सजा किसी दांडिक प्रकरण में नहीं होकर सिविल प्रक्रिया में अवमानना के तहत सीसीपी 31-32 जाब्ता दीवानी कार्रवाई में दी दी जाती है।