इस समस्या ने गंभीर रुख ले लिया है क्योंकि भारत के 1. 1 अरब लोगों के 60 फ़ीसदी की जीविका खेती से ही चलती है.
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इनमें से करीब 65 करोड़ लोग सीधे खेती-किसानी से जुड़े हुए है और अन्य 15 करोड़ लोगों की जीविका खेती से जुड़े हुए धंधाें से चलती है।
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उदारीकरण की तमाम घोषणाओं के बावजूद आज भी करीब सत्तर करोड़ लोगों की जीविका खेती पर ही निर्भर है, यानी देश की आधी से ज्यादा आबादी का आसरा एक मात्र खेती ही है।
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उन्होंने कहा कि आज गांवों के अधिकांश लोग अपनी पारंपरिक जीविका खेती को छोडकर शहरों की ओर जा रहे हैं, लेकिन यदि बेरोजगार नौजवान गोपालन एवं जैविक खेती करें तो वह प्रतिमाह अपने गाँव में ही पंद्रह से बीस हजार कमा सकते हैं ।
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पहाड़ों पर पानी की भयानक होती समस्या को सरकारी दस्तावेजों के आंकड़ों में समझने की बहुत आवश्यकता नहीं है, इसके लिए आप एक महंगे और रिहायशी टूर के स्थान पर एक सामान्य यात्री के रूप में हिमालय की यात्रा करिए, दुनिया की भागदौड़ से दूर पहाड़ों पर एकांत में बसे छोटे-छोटे गांवों तक पहुंचिए, वहाँ के मूल निवासियों से बात करिए जिनकी मुख्य जीविका खेती व पशुओं पर ही निर्भर होती है।