बूंदों की धुन पर, एक छतरी तले साथ-साथ चलते हुए, व्यक्त-अवयक्त अंतरंगता को जी-भर जी लेने की ललक, रूढ़ियों-वर्जनाओं की चौहद्दी से दूर उन्मुक्त “ खुले आकाश के नीचे ” एक-दूसरे को महसूस लेने की उत्कंठा प्रिय लगती है इस क्रम में जहाँ प्रिय के सँग-सँग ” एक छतरी में डगमगा कर चलना...