जब महसूस होने लगता है तो उसकी तीव्रता मापनी पडती है, उस माप के विचार उभरने लगते हैं की बोर्ड पर उंगलियां चलने लगती हैं, शब्द मिलने लगते हैं-लिखते समय चेहरे के भाव, रक्तचाप, श्वास की लंबाई और गति, ये सब विषयवस्तु से बाकायदा प्रभावित होते हैं लेकिन ये स्विच-ऑन स्विच-ऑफ़ जैसा नही है.