किसी बात को दुबारा कहना पड़े तो वे उस व्यक्ति के प्रति कठोर नजर आएंगे।
4.
दुबारा कहना चाहूँगी कि यह तभी तक सही है जबतक कि आपकी सामान्य जिन्दगी पर कोई बुरा प्रभाव न डाले।
5.
लेकिन मैं यह सोचता भी हूँ और आप जैसे गंभीर लोगों से पूछता भी हूँ कि यह अभिधामूलक ' ध्वनियाँ' कहीं हमें विपथ नहीं कर रहीं? कविता का कथ्य मुझे मुझे गहरे तक प्रभावित कर रहा है और मेरी, मैं दुबारा कहना चाहता हूँ कि मेरी, अभिलाषा थी कि इस भावबोध पर कोई व्यंजनामूलक कविता, तुम्हारी लिखी कविता, पढता. धन्यवाद.
6.
पिघलने लगे... उसकी आँखे बोलती है अब कुछ नहीं कहा जाता है तो शब्द थोड़ा जगह बनाते हुए उसकी तरफ आते हेँ '' कहा ना नहीं जानता '' कि किस पर यकीन करूँ-दोनों के बीच आबो हवा नर्म सी होकर गुजरती है शब्द अंधड़ में उड़ने से बच जाते हेँ, खिड़की से परे टुकड़ों में छोटे-बड़े पल चक्करघिन्नी खाते हुए, मुझे माफ करें और रिहाई दें, क्या, क्या दुबारा कहना सुनना आसान होता...