बंगाल में पहले एक तरह के धार्मिक नाटक प्रचलित थे जिन्हें “यात्रा” नाटक कहते थे।
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कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए भी केरल और पंजाब में खूब धार्मिक नाटक खेले।
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बंगाल में पहले एक तरह के धार्मिक नाटक प्रचलित थे जिन्हें “यात्रा” नाटक कहते थे।
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यह एक महान धार्मिक कथा है, इसके समान और कोई धार्मिक नाटक नहीं है ।
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रात में धार्मिक नाटक का मंचन भी होता है जिसकी तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो जाती है ।
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कई गांवों में धार्मिक नाटक का मंचन किया जा रहा है, तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
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मध्ययुगीन धार्मिक नाटक के स्थान पर जिल वीचेंते ने ऊँची प्रगीति कल्पना के साथ यथार्थवादी अभिव्यंजना शक्ति समन्वित करके अत्यंत स्वाभाविक पात्रों से युक्त नाटकों की रचना की।
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मध्ययुगीन धार्मिक नाटक के स्थान पर जिल वीचेंते ने ऊँची प्रगीति कल्पना के साथ यथार्थवादी अभिव्यंजना शक्ति समन्वित करके अत्यंत स्वाभाविक पात्रों से युक्त नाटकों की रचना की।
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या फिर पंडो निरत्या | हा नाटको के नाम पर कभी कभार धार्मिक नाटक जैसे राजा हरिशचंदर या भगत प्रह्लाद का मंचन अवशय देखने को मिलता था | तब ना तो गौ में बिजली हुआ करती थी | रामलीला भी गैस को जलाकर देखा जाती थी | गौ में तब ना तो टेलीविजन था ना ही कोई सनीमा हाल, बस रामलीला ही मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था |