बिन पाकेट पतलून और कमीज़ पहन कर हम सब कम से कम खाली हाथ तो लौट आयेंगे तुम लौट सकोगे खाली हाथ बिना सेल की थैलियों के ध्यान रखना न बिका हुआ माल गोदाम में सड़ने के लिए रखा होता है सड़ना चाहोगे तुम अकड़ना चाहोगे तुम तो पहन कर घूमो आज से बिन पाकेट कमीज़ और पतलून रवीश जी, पता नहीं क्यों मुझे आपकी अन्य पोस्टों के बजाय ॥आपकी कवितायें पढ़नी ज्यादा अच्छी लगती हैं।