प्राकृतिक कानून के अन्य सभी नीति-वचन इस पर आधारित हैं..
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किसी भी व्यक्ति का व्यवहार व आचरण उसके नीति-वचन के अनुरूप होना चाहिए।
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अपने प्रबंध लेवियाथन, (1651) में हॉब्स ने प्राकृतिक कानून के नीति-वचन के बारे में अपने विचार व्यक्त किया है कि, तर्क के आधार पर अथवा सामान्य नियम जिसे एक मनुष्य को वह सब कुछ करने की मनाही कर दी जाती है जो उसके जीवन के लिए विनाशकारी है अथवा जीवन की रक्षा के लिए जो साधन हैं उसे छीन लेता है;
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कृपया बुरा न मानें इसे बुरे समय का प्रभाव तो क़तई नहीं दरअसल यह शाश्वत हक़ीक़त है कि काम नहीं आई बुरे वक्त में अच्छाइयाँ धरे रह गये नीति-वचन उपदेश सारी अच्छी चीज़ें पड़ गयीं ओछी ईमानदारी की बात यह कि बुरी चीज़ें बुरे लोग, बुरी बातें और बुरे दोस्तों ने बचाईं जान अक़सर उँगली थामकर उठाया साहस दिया अच्छी चीज़ों और अच्छे लोगों और अच्छे रास्तों ने बुरे समय में अक़सर साथ छोड़ दिया
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कृपया बुरा न मानें इस बुरे समय का प्रभाव तो कतई नहीं दरअसल यह शाश्वत हकीकत है कि काम नहीं आयीं बुरे वक्त में अच्छाइयाँ धरे रह गये नीति-वचन उपदेश सारी अच्छी चीजें पड़ गयीं ओछी ईमानदारी की बात यह कि बुरी चीजें बुरे लोग, बुरी बातों और बुरे दोस्तों ने बचाई जान अकसर उँगली थामकर उठाया साहस दिया अच्छी चीजों और अच्छे लोगों और अच्छे रास्तों ने बुरे समय में अकसर साथ छोड़ दिया
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जबरदस्त सच्चाई है मयंक और हरे की कविताओं में.-एक पत्रकार--बुराई के पक्ष में--कृपया बुरा न मानें इसे बुरे समय का प्रभाव तो क़तई नहीं दरअसल यह शाश्वत हक़ीक़त है कि काम नहीं आई बुरे वक्त में अच्छाइयाँ धरे रह गये नीति-वचन उपदेश सारी अच्छी चीज़ें पड़ गयीं ओछी ईमानदारी की बात यह कि बुरी चीज़ें बुरे लोग, बुरी बातें और बुरे दोस्तों ने बचाईं जान अक़सर उँगली थामकर उठाया साहस दिया अच्छी चीज़ों और अच्छे लोगों और अच्छे रास्तों ने बुरे समय में अक़सर साथ छोड़ दिया