क्यारियों में पिटूनिया के नन्हें पौधे आँखें खोलने लगे थे, धूप धीमा धीमा गुनगुनाने लगी थी मौसमी चिड़ियों के झुंड कनेर के पेड़ों पर चहचहाने लगे थे कुल मिला कर यह कि डाइनिंग रूम से बाहर की ओर खुलने वाले बड़े दरवाजे के कांच में से दिखता बगीचा गुलज़ार नज़र आने लगा था।