(3) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रायोजनों के लिये इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जायेगी ।
2.
(3) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रायोजनों के लिये इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जायेगी ।
3.
(3) पूर्वोक्त प्रकार की किसी विधि में ऐसे आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध हो सकेंगे जो उस विधि के प्रयोजनों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक या वांछनीय हों।
4.
(3) पूर्वोक्त प्रकार की किसी विधि में ऐसे आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध हो सकेंगे जो उस विधि के प्रयोजनों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक या वांछनीय हों।
5.
पूर्वोक्त प्रकार की किसी भी निर्देशक, रिश्तेदार, फर्म, साथी या निजी कंपनी के साथ इस तरह कंपनी के व्यापार के सामान्य पाठ्यक्रम में एक बैंकिंग या बीमा के मामले में (ग) कंपनी के किसी भी सौदे.
6.
(वर्तमान बाजार मूल्य पर नकदी के लिए पूर्वोक्त प्रकार की किसी भी निर्देशक, रिश्तेदार फर्म, साथी या निजी कंपनी द्वारा कंपनी, या माल और कंपनी के लिए सामग्रियों की बिक्री से सामान और सामग्री के एक) के क्रय, या