क्योंकि जन्म लेने के साथ ही इस लोकतंत्र ने धर्म, कर्म, मान-मर्यादा, आदर-सम्मान, प्यार-मुहब्बत, सदाचार सबको पैर से मारना शुरू कर दिया जो आज अपनी चरम सीमा पर है।
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क्योंकि जन्म लेने के साथ ही इस लोकतंत्र ने धर्म, कर्म, मान-मर्यादा, आदर-सम्मान, प्यार-मुहब्बत, सदाचार सबको पैर से मारना शुरू कर दिया जो आज अपनी चरम सीमा पर है।