उनके अनुसार रोजगार प्रभावी माँग पर निर्भर करता है।
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उनके अनुसार रोजगार प्रभावी माँग पर निर्भर करता है।
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प्रभावी माँग स्वयं उपयोग तथा विनियोग पर निर्भर करती है।
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प्रभावी माँग स्वयं उपयोग तथा विनियोग पर निर्भर करती है।
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इसके लिये बड़े पैमाने पर अनुत्पादक पूँजी को ऋण के रूप में देकर हाउसिंग सेक्टर आदि में प्रभावी माँग को बढ़ाने की कोशिश की गयी जिसका अन्त 2005 के सबप्राइम संकट में हुआ जिसका असर अब तक बना हुआ है।
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पहली बात यह है कि 1930 के दशक की मन्दी से निपटने के लिये कीन्स ने समाजवाद की कुछ चीजें उधार लेकर पूँजीपति वर्ग को पब्लिक सेक्टर खड़ा करने की सलाह दी क्योंकि ऐसा करके लगातार गिरती प्रभावी माँग को तब बढ़ाया जा सकता था।