प्राथमिक कुंडली में द्वितीयक की अपेक्षा बहुत कम लपेटें होती हैं।
2.
इसी सिद्धांत पर इस भट्ठी में भी प्राथमिक कुंडली को संभरण (
3.
और इस प्रकार प्राथमिक कुंडली की धारा का परिपथ पूरा नहीं रहता।
4.
परिणामस्वरूप, प्राथमिक कुंडली की धारा का परिपथ बार बार बनता और टूटता रहता है।
5.
इस प्रकार प्राथमिक कुंडली की धारा का परिपथ फिर पूर्ण हो जाता है और बैटरी से धारा फिर प्रवाहित होने लगती है।
6.
जब प्राथमिक कुंडली का क्षेत्र काफी बढ़ जाता है, तब स्विच के नर्म लोहे का संस्पर्शक प्राथमिक कुंडली के क्रोड की ओर आकर्षित हो जाता है।
7.
जब प्राथमिक कुंडली का क्षेत्र काफी बढ़ जाता है, तब स्विच के नर्म लोहे का संस्पर्शक प्राथमिक कुंडली के क्रोड की ओर आकर्षित हो जाता है।
8.
इस प्रकार यदि प्राथमिक कुंडली में 12 वोल्ट पर 1 एंपीयर धारा ली जा रही हो, तो द्वितीयक कुंडली में 1200 वोल्ट पर केवल एंपीयर धारा ही होगी।
9.
सामान्य रूप में यह संस्पर्शक दूसरे स्थिर संस्पर्शक से संस्पर्श करता है और इस प्रकार प्राथमिक कुंडली का परिपथ पूरा हो जाता है, और उसमें धारा प्रवाहित होती है।