लेकिन वे अपनी ब्रह् मचर्य वाली बीमारी को भी लादना शुरू करेंगे.
3.
भारतीय संस्कृति में ब्रह् मचर्य आश्रम का जो निर्दिष् ट महत्व है इसकी ओर यहाँ संकेत किया गया है।
4.
इस पृथ्वी के समस्त धर्मों में कौमार्य, ब्रह् मचर्य, पवित्रता आदि की मान्यता है परन्तु हमारे यहां नहीं, ।
5.
अनुवादः-देवताओं, ब्राह् मणों, गुरु तथा ज्ञानीजनों का यथायोग्य पूजन करना, शरीर को पवित्र रखना, सरलता तथा ब्रह् मचर्य तथा अहिंसा का पालन शरीर सम्बन्धी तप कहलाता है।
6.
मूल में ब्रह् मचर्य आश्रम की ओर संकेत किया जया है तथा वीरता और विवेक के साक्षात् प्रतिरूप भीष् म की महानता के प्रति कवि ने अपना श्रद्धाभाव व्यक् त किया है।