मार्क्सवादी अर्थशास्त्र की भ्रांति का सार हमें इसमें मिल जाता है।
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पूर्णत: नए उत्पाद और उद्योगों का प्रकटीकरण और उनका पूँजी निवेश के द्वारा सम्वर्धन एक ऐसी प्रक्रिया थी जो मार्क्सवादी अर्थशास्त्र की समझ के बाहर की बात थी।
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पूर्णत: नए उत्पाद और उद्योगों का प्रकटीकरण और उनका पूँजी निवेश के द्वारा सम्वर्धन एक ऐसी प्रक्रिया थी जो मार्क्सवादी अर्थशास्त्र की समझ के बाहर की बात थी।
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, शिकागो, 1906, एडवर्ड अवेलिंग द्वारा अनुवादित और थॉमस सोवेल द्वारा ऑन क्लासिकल इकोनॉमिक्स, येल,2006, पृ.170 पर उद्धृत] मार्क्सवादी अर्थशास्त्र की भ्रांति का सार हमें इसमें मिल जाता है।
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@ पूर्णत: नए उत्पाद और उद्योगों का प्रकटीकरण और उनका पूँजी निवेश के द्वारा सम्वर्धन एक ऐसी प्रक्रिया थी जो मार्क्सवादी अर्थशास्त्र की समझ के बाहर की बात थी............... |-समझ-तंत्र खराब था या एक व्यक्ति (यहाँ के सन्दर्भ में मार्क्स) द्वारा समझा जाना! अगर समझ तंत्र में खोंट है तो परवर्ती मार्क्सवादी ' पूंजी तंत्र ' की समीक्षा को आगे कैसे बढाते रहे! ध्यातव्य है कि अमेरिका में रह रहे स्वघोषित मार्क्सवादी आलोचक कितनी नजदीक से देखकर ' पूंजी-तंत्र ' की समीक्षा-आलोचना कर रहे हैं!