मिलन यामिनी वाक्य
उच्चारण: [ milen yaamini ]
"मिलन यामिनी" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- और उस मधु चन्द्रिका की मिलन यामिनी की सेज पर याद है
- जब अकेले थे तब ‘ एकांत संगीत ' लिखा, जब विवाह हुआ तो ‘ मिलन यामिनी ' लिखी और फिर सतरंगिनी
- मिलन यामिनी की बाट जोहती द्वार की ओर खड़ी है धुनलि! उम्मीद है तो जिन्दगी है, आशा की डोर पर ही जीवन की सांसें अटकी हैं।
- इस संदर्भ में पूर्व बच्चन और उत्तर बच्चन की संवेदना के बीच स्पष्ट अंतर परिलक्षित होता है, जिसकी विभाजक-रेखा उनके गीत संग्रह मिलन यामिनी में देखी जा सकती है।
- जाग न जाने कब वह आकर खटका देगा पट मधुकर सतत सजगता से ही निर्जल होता अहमिति का निर्झर मूढ़ विस्मरण में निद्रा में मिलन यामिनी दे न बिता टेर रहा विस्मरणविनाशा मुरली तेरा मुरलीधर।।
- आकुल अंतर ' की पुकार पर वैयक्तिक प्रणय के लिए ‘ मिलन यामिनी ' की प्रतीक्षा में ‘ एकांत संगीत ' के सहारे ‘ निशा निमंत्रण ' देना स्वीकार किया है उनको प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन की
- मुरली तेरा मुरलीधर 7 जाग न जाने कब वह आकर खटका देगा पट मधुकर सतत सजगता से ही निर्जल होता अहमिति का निर्झर मूढ़ विस्मरण में निद्रा में मिलन यामिनी दे न बिता टेर रहा विस्मरणविनाशा मुरली तेरा मुरलीधर।।
- इसके अतिरिक्त मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, खादि के फूल, सूत की माला, मिलन यामिनी, बुद्ध और नाच घर, चार खेमे चौंसठ खूंटे, दो चट्टानें जैसी काव्य की रचना बच्चन ने की है.
- मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं...
- मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं...
- मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं
- मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं
- मिलन यामिनी जैसा कार्यक्रम मूझे (किसीकी भी याददास्त १ ०० % नहीं हो सकती इस लिये शायद मूझसे यह बात छूट रही होगी) याद नहीं आ रहा है, पर एक समय कुछ ऐसा याद आ रहा है, जब रात्री १ ०.
- निशा-निमंत्रण ', ‘ प्रणय पत्रिका ', ‘ मधुकलश ', ‘ एकांत संगीत ', ‘ सतरंगिनी ', ‘ मिलन यामिनी ', ” बुद्ध और नाचघर ', ‘ त्रिभंगिमा ', ‘ आरती और अंगारे ', ‘ जाल समेटा ', ‘ आकुल अंतर ' तथा ‘ सूत की माला ' नामक संग्रहों में आपकी रचनाएँ संकलित हैं।
- तेरा हार (1932) मधुशाला (1935) मधुबाला (1936) मधुकलश (1937) निशा निमंत्रण (1938) एकांत संगीत (1939) आकुल अंतर (1943) सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946) बंगाल का काव्य (1946) खादी के फूल (1948) सूत की माला (1948) मिलन यामिनी (1950) प्रणय पत्रिका (1955) धार के इधर उधर (1957) आरती और अंगारे (1958) बुद्ध और नाचघर (1958) त्रिभंगिमा (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962) दो चट्टानें (1965) बहुत दिन बीते (1967)
- इनमें से बहुत से नाम ऐसे है जो प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं के नाम है जैसे-रसवन्ती-रामधारी सिंह दिनकर, गुंजन-सुमित्रानन्दन पंत, सांध्य गीत-महादेवी वर्मा, मिलन यामिनी-हरिवंश राय बच्चनसच कहें तो ये नाम कभी-कभी कार्यक्रम की प्रकृति से मेल नहीं खाते थे जैसे मिलन यामिनी, इस कर्यक्रम में एक कहानी को संवाद के साथ प्रस्तुत किया जाता था और साथ ही मेल खाते फ़िल्मी गीत बजते थे।
- सतरंगिनी / हरिवंशराय बच्चन (1945) हलाहल / हरिवंशराय बच्चन (1946) बंगाल का काल / हरिवंशराय बच्चन (1946) खादी के फूल / हरिवंशराय बच्चन (1948) सूत की माला / हरिवंशराय बच्चन (1948) मिलन यामिनी / हरिवंशराय बच्चन (1950) प्रणय पत्रिका / हरिवंशराय बच्चन (1955) धार के इधर उधर / हरिवंशराय बच्चन (1957) आरती और अंगारे / हरिवंशराय बच्चन (1958) बुद्ध और नाचघर / हरिवंशराय बच्चन (1958) त्रिभंगिमा / हरिवंशराय बच्चन (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे / हरिवंशराय बच्चन (1962)
- इनमें से बहुत से नाम ऐसे है जो प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं के नाम है जैसे-रसवन्ती-रामधारी सिंह दिनकर, गुंजन-सुमित्रानन्दन पंत, सांध्य गीत-महादेवी वर्मा, मिलन यामिनी-हरिवंश राय बच्चन सच कहें तो ये नाम कभी-कभी कार्यक्रम की प्रकृति से मेल नहीं खाते थे जैसे मिलन यामिनी, इस कर्यक्रम में एक कहानी को संवाद के साथ प्रस्तुत किया जाता था और साथ ही मेल खाते फ़िल्मी गीत बजते थे।
- इनमें से बहुत से नाम ऐसे है जो प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं के नाम है जैसे-रसवन्ती-रामधारी सिंह दिनकर, गुंजन-सुमित्रानन्दन पंत, सांध्य गीत-महादेवी वर्मा, मिलन यामिनी-हरिवंश राय बच्चन सच कहें तो ये नाम कभी-कभी कार्यक्रम की प्रकृति से मेल नहीं खाते थे जैसे मिलन यामिनी, इस कर्यक्रम में एक कहानी को संवाद के साथ प्रस्तुत किया जाता था और साथ ही मेल खाते फ़िल्मी गीत बजते थे।
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