की प्रथम दो, तीन शतियों के बीच सिद्ध होता है और उस समय गाथा सप्तशती का कोश नामक मूल संकलन किया गया होगा।
2.
इस परिवर्द्धित संस्करण में मूल संकलन की अपेक्षा कृष्णमूर्ति के और अधिक वचन संगृहीत हैं, जिनमें कुछ अब तक अप्रकाशित सामग्री भी सम्मिलित है।
3.
इस पर पूरा ढोल सागर लिखा गया है, ढोल सागर का मूल संकलन पंडित ब्रह्मानंद थपलियाल से आरंभ कर श्री बद्रिकेदारेश्वर प्रेस पौड़ी गढ़वाल से प्रकाशित किया था.
4.
इन सब प्रमाणों से हाल का समय ईसा की प्रथम दो, तीन शतियों के बीच सिद्ध होता है और उस समय गाथा सप्तशती का कोश नामक मूल संकलन किया गया होगा।
5.
इस पर पूरा ढोल सागर लिखा गया है, ढोल सागर का मूल संकलन पंडित ब्रह्मानंद थपलियाल ने १९१३ से आरंभ कर श्री बद्रिकेदारेश्वर प्रेस पौड़ी गढ़वाल से १९३२ में प्रकाशित किया था.
6.
इस पर पूरा ढोल सागर लिखा गया है, ढोल सागर का मूल संकलन पंडित ब्रह्मानंद थपलियाल ने १ ९ १ ३ से आरंभ कर श्री बद्रिकेदारेश्वर प्रेस पौड़ी गढ़वाल से १ ९ ३ २ में प्रकाशित किया था.