वस्तुओं का उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य अलग-अलग होता है।
2.
श्रम-शक्ति के उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य में विरोधाभास के कारण ही शोषण संभव होता है.
3.
सापेक्ष आर्थिक स्थिरता में मूल्य और विनिमय दरदोनों में सीमित और उचित परिवर्तन आवश्यक समझे जाते हैं.
4.
और यह विरोधाभास श्रम शक्ति के उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य में विरोधाभास होने से ही संभव है.
5.
मेजारोस का कहना है कि मार्क्स ने पूँजी के दो मूल्य बताए थे-उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य ।
6.
श्रम-शक्ति का, अन्य जिन्स की भांति, उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य होता है और आपने अनुमानित किया, इनमें विरोधाभास है.
7.
सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसका निष्पक्ष आकलन कैसे किया जाए कि कौन कितना कीमती है? वस्तुओं का उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य अलग-अलग होता है।
8.
मतलब कि माल में उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य होते हैं लेकिन विनिमय मूल्य में निहित ‘ मूल्य ' के साकार होने के लिए उसमें उपयोग मूल्य का होना जरूरी है ।
9.
इसका एक उपयोग मूल्य है और दूसरा मूल्य (जैसाकि हमने देखा है कि मूल्य विनिमय मूल्य के पीछे छुपा होता है इसलिए, पहले हमने कहा था कि विरोधाभास उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य के बीच है, बाद में हमने इसे उपयोग मूल्य और मूल्य में संशोधित कर लिया.
10.
वे इसे न सिर्फ़ पूँजीवाद का संकट मानते हैं बल्कि समग्र पूँजी का संकट मानते हैं और इसकी व्याख्या के लिए मार्क्स द्वारा चिन्हित उपयोग मूल्य और विनिमय मूल्य के बीच मौजूद विरोध व उपयोग मूल्य पर विनिमय मूल्य की बढ़ती में इसके स्रोत की पहचान करते हैं ।