जिस कारण उनके द्वारा दहेज मांगना एवं मृतका की दहेज मृत्यु कारित करना असत्य एवं अस्वाभाविक है।
2.
जैसे भारतीय दंड संहिता के हिन्दी संस्करण में ' मारने ' के लिए ' मृत्यु कारित करना ' एकदम घटिया प्रयोग हुआ।
3.
इस प्रकार से मुलजिमान द्वारा चाकू मार कर मृतक की मृत्यु कारित करना और उभय पक्ष के बीच में रंजिष होना पूरी तरह साबित है।
4.
अभियुक्त को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 के अन्तर्गत दोषी ठहराने के लिये अभियोजन को यह तथ्य साबित करना आवश्यक है कि अभियुक्त द्वारा ही मृतक की मृत्यु कारित की गई थी परन्तु अभियोजन के प्रस्तुत साक्ष्यों से अभियुक्त द्वारा मृतक की मृत्यु कारित करना साबित नही पाया जाता है।
5.
धारा 304 भाग-2 भारतीय दंड संहिता में यह अवधारित किया गया है कि यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाये, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी या जुमाने से या दोनो से दंडित किया जायेगा।
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धारा 304 भाग-2 भारतीय दंड संहिता में यह अवधारित किया गया है कि यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाये, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी या जुमाने से या दोनो से दंडित किया जायेगा।
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और बहुत से ऐसे मामले जिसमे पीड़ित की मृत्यु हत्या की श्रेणी में नहीं आ पाती क्योंकि हत्या के लिए धारा ३ ०० कहती है कि शारीरिक क्षति इस आशय से जिससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है या वह प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त है या वह कार्य इतना आसन्न संकट है कि मृत्यु कारित कर ही देगा या ऐसी शारीरिक क्षति कारित कर देगा जिससे मृत्यु कारित होनी संभाव्य है, ऐसे में आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय बनाम टी.
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अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है, कारित करने के आशय के बिना किया जाये, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा. '' इस प्रकार भारतीय दंड विधान मर्सी किलिंग को धारा ३ ० ४ के अंतर्गत सदोष हत्या का अपराध मानता है और इसकी मंजूरी नहीं देता है.
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अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है, कारित करने के आशय के बिना किया जाये, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा. '' इस प्रकार भारतीय दंड विधान मर्सी किलिंग को धारा ३ ० ४ के अंतर्गत सदोष हत्या का अपराध मानता है और इसकी मंजूरी नहीं देता है.