मिर्जाराजा जयसिंह अतीव मेधावी, पराक्रमी, रणकुशल एवं विलक्षण कूटनीतिज्ञ थे।
5.
राजा दशरथ वेदों के मर्मज्ञ, धर्मप्राण, दयालु, रणकुशल, और प्रजापालक थे।
6.
बड़े बड़े बलवान, पराक्रमी और रणकुशल योद्धा तथा शूरवीर इस पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर, इसे उठा भी नहीं सकते।
7.
बड़े बड़े बलवान, पराक्रमी और रणकुशल योद्धा तथा शूरवीर इस पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर, इसे उठा भी नहीं सकते।
8.
राजा दशरथ चारों वेदों के ज्ञाता, रणकुशल, धर्मात्मा, दयालु और प्रजावत्सल थे तथा उनके राज्य में प्रजा सभी प्रकार से सुखी थी।
9.
उन के लिये समुदाय के प्रति निष्ठावान होने के साथ साथ वीर, परिश्रनी, रणकुशल, चतुर, बलवान, तथा स्चरित्र होना भी अनिवार्य माना गया।
10.
उनमें वह आत्म-त्याग कहाँ, वह वीरता कहाँ, अपने पुरखों की वह वीरता कहाँ? और शायद मुझे यह याद दिलाने की जरूरत नहीं कि किसी शांतिप्रिय जनता को आप दो-चार वर्षों में रणकुशल और समर-प्रवीण नहीं बना सकते।