एक दो डण्डा विपक्षीगण दिनेश को मारे थे तथा एक दो डण्डा मुझे मारे थे लात मुक्का से मारे थे।
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और जो ऐसा नहीं करेगा उसके लिए तो है ही “ लात मुक्का पीठ मध्य चटकनम मुख भंजतेय ” और हाँ ' गणित ” जरूर पढाना वरना समाज के भेडियें उनको नोच कर खा जायेंगे!
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“ लात मुक्का पीठ मध्य चटकनम मुख भंजतेय ” इसका अर्थ यह होता है कि हमको लात मुक्का पीठ के मध्य में पड़ते थे जहां रीढ़ होती है और इतने तमाचे पड़ते थे जिससे हमारे काले-काले जो गाल है सुर्ख बैंगनी हो जाते थे!
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“ लात मुक्का पीठ मध्य चटकनम मुख भंजतेय ” इसका अर्थ यह होता है कि हमको लात मुक्का पीठ के मध्य में पड़ते थे जहां रीढ़ होती है और इतने तमाचे पड़ते थे जिससे हमारे काले-काले जो गाल है सुर्ख बैंगनी हो जाते थे!
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संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादी मुकदमा दिनेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा थाना सरायं इनायत में इस आशय की मौखिक सूचना दी गई कि दिनांक 27. 10.2000 को समय 13.20 बजे स्थान पेश दरवाजा वादी ग्राम रामापुर थाना सरायं इनायत जिला इलाहाबाद में कूड़ा करकट फेंकने की बात को लेकर तथा पुरानी रंजिश के कारण मेरी बहन गीता श्रीवास्तव व मेरी मॉ जावित्री श्रीवास्तव को लाठी डंडा लात मुक्का से मारपीट कर गाली गुप्ता दिये गॉव के लोगों ने बीच बचाव किया।