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वादिराज वाक्य

उच्चारण: [ vaadiraaj ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • गणना होने से आप वादिराज के
  • आचार्य वादिराज ने अपने पार्श्वनाथचरित में आचार्य गृद्धपिच्छ का उल्लेख किया है।
  • आचार्य वादिराज ने अपने पार्श्वनाथचरित में आचार्य गृद्धपिच्छ का उल्लेख किया है।
  • चरित के दर्ता महाकवि वादिराज सूरि ने आपको उत्कृष्ट काव्य माणिक्यों का
  • वादिराज ने जयसिंह द्वितीय के समय में पार्श्वनाथचरित और यशोधरचरित्र की रचना की।
  • वादिराज ने जयसिंह द्वितीय के समय में पार्श्वनाथचरित और यशोधरचरित्र की रचना की।
  • यशोधर चरित के दर्ता महाकवि वादिराज सूरि ने आपको उत्कृष्ट काव्य माणिक्यों का रोहण (पर्वत) सूचित किया है।
  • हरिभद्र, वीरसेन, कुमारनंदि, विद्यानंद, अनंतवीर्यप्रथम, वादिराज, माणिक्यनंदि आदि मध्ययुगीन जैन तार्किकों ने उनके कार्य को आगे बढ़ाया और उसे यशस्वी एवं प्रभावपूर्ण बनाया।
  • न्यायविनिश्चय ग्रन्थ पर स्याद्वादविद्यापति आचार्य वादिराज * ने न्यायविनिश्चयालंकार अपरनाम न्यायविनिश्चयविवरण, सिद्धिविनिश्चय पर तार्किकशिरोमणि आचार्य बृहदनन्तवीर्य * ने सिद्धिविनिश्चयालंकार तथा इन्होंने ही प्रमाणसंग्रह पर प्रमाण संग्रहभाष्य और आचार्य माणिक्यनन्दि * के शिष्य आचार्य प्रभाचन्द्र * ने लघीयस्त्रय पर लघीयस्त्रयालंकार अपरनाम न्यायकुमुदचन्द्र नाम की विस्तृत एवं प्रौढ़ टीकाएं लिखी हैं।
  • इस परंपरा में श्रीरुद्र न्यायवाचस्पति का “ पिकदूत ”, “ वादिराज ” का “ पवनदूत ”, “ हरिदास ” का “ कोकिलदूत ”, सिद्धनाथ विद्यावागीश का “ पवनदूत ” कृष्णनाथ न्यायपंचानन का “ वातदूत ”, अजितनाथ न्यायरत्न का “ बकदूत ”, रघुनाथ दास का “ हंस दूत ” आदि रचनाएँ हैं।
  • एकीभाव संस्कृत स्तोत्र के रचियता आचार्य श्री वादिराज हैं| आपकी गणना महान् आचार्यों में की जाती है| आप महान वाद-विजेता और कवि थे| आपकी पार्श्वनाथ चरित्र, यशोधर चरित्र, एकीभाव स्तोत्र, न्याय-विनिश्यिय विवरण, प्रमाण निर्णय ये पांच कृतियाँ प्रसिद्ध हैं| आपका समय विक्रम की 11 वीं शताब्दी माना जाता है| आपका चौलुक्य नरेश जयसिंह (प्रथम) की सभा में बडा़ सम्मान था| 'वादिराज' यह नाम नही वरन् पदवी है| प्रख्यात वादियों में आपकी गणना होने से आप वादिराज के नाम से प्रसिद्ध हुए|
  • एकीभाव संस्कृत स्तोत्र के रचियता आचार्य श्री वादिराज हैं| आपकी गणना महान् आचार्यों में की जाती है| आप महान वाद-विजेता और कवि थे| आपकी पार्श्वनाथ चरित्र, यशोधर चरित्र, एकीभाव स्तोत्र, न्याय-विनिश्यिय विवरण, प्रमाण निर्णय ये पांच कृतियाँ प्रसिद्ध हैं| आपका समय विक्रम की 11 वीं शताब्दी माना जाता है| आपका चौलुक्य नरेश जयसिंह (प्रथम) की सभा में बडा़ सम्मान था| 'वादिराज' यह नाम नही वरन् पदवी है| प्रख्यात वादियों में आपकी गणना होने से आप वादिराज के नाम से प्रसिद्ध हुए|
  • हरिभद्र की अनेकांतजयपताका, शास्त्रवार्तासमुच्चय, वीरसेन की सिद्धान्त एवं तर्कबहुला ध्वला-जय-धवलाटीकाएँ, वादन्यायविचक्षण, कुमारनंदि का वादन्याय *, विद्यानंद के आचार्य विद्यानंद महोदय [1], तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, अष्टसहस्री, आप्तपरीक्षा, प्रमाणपरीक्षा, पत्रपरीक्षा, सत्यशासनपरीक्षा, युक्त्यनुशासनालंकार, अनंतवीर्य प्रथम की सिद्धिविनिश्चय टीका व प्रमाणसंग्रहभाष्य, वादिराज के न्याय-विनिश्चय विवरण, प्रमाण-निर्णय और माणिक्यनंदि का परीक्षामुख (आद्य जैन न्यायसूत्र), अकलंक के वाङमय से पूर्णतया प्रभावित एवं उसके आभारी तथा उल्लेखनीय दार्शनिक एवं तार्किक रचनाएं हैं, जिन्हें अकलंककाल (मध्यकाल) की महत्त्वपूर्ण देन कहा जा सकता है।
  • एकीभाव संस्कृत स्तोत्र के रचियता आचार्य श्री वादिराज हैं | आपकी गणना महान् आचार्यों में की जाती है | आप महान वाद-विजेता और कवि थे | आपकी पा र्श्वनाथ चरित्र, यशोधर चरित्र, एकीभाव स्तोत्र, न्याय-विनिश्यिय विवरण, प्रमाण निर्णय ये पांच कृतियाँ प्रसिद्ध हैं | आपका समय विक्रम की 11 वीं शताब्दी माना जाता है | आपका चौलुक्य नरेश जयसिंह (प्रथम) की सभा में बडा़ सम्मान था | ‘ वादिराज ' यह नाम नही वरन् पदवी है | प्रख्यात वादियों में आपकी गणना होने से आप वादिराज के नाम से प्रसिद्ध हुए |
  • एकीभाव संस्कृत स्तोत्र के रचियता आचार्य श्री वादिराज हैं | आपकी गणना महान् आचार्यों में की जाती है | आप महान वाद-विजेता और कवि थे | आपकी पा र्श्वनाथ चरित्र, यशोधर चरित्र, एकीभाव स्तोत्र, न्याय-विनिश्यिय विवरण, प्रमाण निर्णय ये पांच कृतियाँ प्रसिद्ध हैं | आपका समय विक्रम की 11 वीं शताब्दी माना जाता है | आपका चौलुक्य नरेश जयसिंह (प्रथम) की सभा में बडा़ सम्मान था | ‘ वादिराज ' यह नाम नही वरन् पदवी है | प्रख्यात वादियों में आपकी गणना होने से आप वादिराज के नाम से प्रसिद्ध हुए |
  • एकीभाव संस्कृत स्तोत्र के रचियता आचार्य श्री वादिराज हैं | आपकी गणना महान् आचार्यों में की जाती है | आप महान वाद-विजेता और कवि थे | आपकी पा र्श्वनाथ चरित्र, यशोधर चरित्र, एकीभाव स्तोत्र, न्याय-विनिश्यिय विवरण, प्रमाण निर्णय ये पांच कृतियाँ प्रसिद्ध हैं | आपका समय विक्रम की 11 वीं शताब्दी माना जाता है | आपका चौलुक्य नरेश जयसिंह (प्रथम) की सभा में बडा़ सम्मान था | ‘ वादिराज ' यह नाम नही वरन् पदवी है | प्रख्यात वादियों में आपकी गणना होने से आप वादिराज के नाम से प्रसिद्ध हुए |

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