मैंने सुझाव दिया था कि फिल्म में वास्तविकता दिखाना है तो गांव के बूढ़े लोगों के क्लोज अप लें जिनके लिए आस भुवन ही है.
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कुछ अज्ञानी कहते हैं की महर्षिवेद-व्यास उनके पुत्र सुकदेव, वाल्मीकी, चन्द्रगुप्त मोर्य आदि सभी शूद्र वर्ण के थे और पहले शूद्र राजा नन्दवंश की तारीफ करते नही थकते इसलिए उन्हे वास्तविकता दिखाना जरूरी हो जाता है हम चाहते हैं वो श्रेष्ठ हों परंतु उन्होने एसा कुछ भी नही किया है जिससे उनी तारीफ की जा सके