यह दुनिया की और सदियों की सबसे बड़ी परमाणु विकिरण दुर्घटना मानी जा रही है।
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अन्तरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी द्वारा नाभिकीय एवं विकिरण दुर्घटना की निम्नलिखित परिभाषा दी गयी है-
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विकिरण दुर्घटना हो सकती है किसी न्यूक्लियर प्लांट में रिसाव या विस्फोट से, या फिर किसी रेडियो एक्टिव सोर्स के गायब होने से ।
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विकिरण दुर्घटना हो सकती है किसी न्यूक्लियर प्लांट में रिसाव या विस्फोट से, या फिर किसी रेडियो एक्टिव सोर्स के गायब होने से ।
5.
अब इस भित्तिचित्र पर ऐसा कहा जाता है कि १९५४ में जापानी मछलीमार नौका “दाई-गो हूकू-रियू-मारू ” (यानी, शुभ-अजगर पंचम) पर हुई एक विकिरण दुर्घटना के आधार पर बनाया गया.
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यह जवाबदेही की अवधि सिर्फ 10 साल तक सीमित करने की बात करता है जबकि किसी विकिरण दुर्घटना के प्रभावों का असर (कैंसर, जेनेटिक विकार आदि) 20 साल बाद देखने को मिलता है.
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यह जवाबदेही की अवधि सिर्फ 10 साल तक सीमित करने की बात करता है जबकि किसी विकिरण दुर्घटना के प्रभावों का असर (कैंसर, जेनेटिक विकार आदि) 20 साल बाद देखने को मिलता है.
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अब इस भित्तिचित्र पर ऐसा कहा जाता है कि १ ९ ५ ४ में जापानी मछलीमार नौका “ दाई-गो हूकू-रियू-मारू ” (यानी, शुभ-अजगर पंचम) पर हुई एक विकिरण दुर्घटना के आधार पर बनाया गया.