| 1. | जिस आख से हम देखते हैं वही विनाशवान है।
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| 2. | इसलिए विनाशवान से अविनाशी नहीं देखा जा सकता ; यह तो बहुत सीधी सी बात है।
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| 3. | और हमारे शरीर के पास जितनी इंद्रियां हैं वे सब विनाशवान हैं ; शरीर की इंद्रियां हैं।
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| 4. | बहुत कम लेखक हुए हैं जो मानवीय भावनाओं में इतने भीतर तक पहुँच सके, और बहुत कम लेखकों के पास इस कदर विनाशवान तरीके से विचारहीन दिमाग था.
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| 5. | श्रीप्रद कुरआन के अनुसार “ प्रत्येक वस्तु विनाशवान है सिवाय उस [प्रभु] के चेहरे के. ” कबीर का भी दृढ़ विशवास है-“ हम तुम्ह बिनसि रहेगा सो ई. ”
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