मानवाकार आकृति बनाई जाती है और वृक्षावलि दर्शाने के लिए
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दूर तक फैले हुए खेतों और मैदानों के छोर पर वृक्षावलि की
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इस दिन घरों के आँगन में गोबर से गोवर्धन की मानवाकार आकृति बनाई जाती है और वृक्षावलि दर्शाने के लिए रूई के फाहे लगी सीकें गाड़ दी जाती हैं।
4.
दूर तक फैले हुए खेतों और मैदानों के छोर पर वृक्षावलि की जो धाुँधाली हरिताभ रेखा सी क्षितिज से मिली दिखाई पड़ती है उसके उधर किसी मधुर लोक की कल्पना स्वभावत: होती है, दूर उन खेतों के उस पार, जहाँ तक गई नील झंकार।