| 1. | उस शिर में प्राण नें आश्रय लिया.
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| 2. | नाभि, उर, शिर में प्राणवायु की वर्णरूप अभिव्यक्ति नहीं होती।
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| 3. | कण्ठ और शिर में क्रमश: मध्यम और तार स्वर निकलता है।
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| 4. | कण्ठ और शिर में क्रमश: मध्यम और तार स्वर निकलता है।
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| 5. | नाभि, उर, शिर में प्राणवायु की वर्णरूप अभिव्यक्ति नहीं होती।
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| 6. | कण्ठ में टकराकर मध्यम स्वर, शिर में टकराकर तार स्वर बनाता है।
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| 7. | कण्ठ में टकराकर मध्यम स्वर, शिर में टकराकर तार स्वर बनाता है।
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| 8. | इसी प्रकार मुख के बाहर उर, कण्ठ और शिर में बाह्य प्रयत्न कहलाते हैं।
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| 9. | अपस्मार वा मिरगी के रोग में रोगी को दौरा पड़ने पर शिर में चक्कर सा आता है ।
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| 10. | यानी सरकारी बोझ को धोने के कारण किसी के मध्य शिर में बाल ही नहीं होते थे.
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