श्याम सुन्दर दास वाक्य
उच्चारण: [ sheyaam sunedr daas ]
उदाहरण वाक्य
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- भाषा विज्ञान-डॉ. श्याम सुन्दर दास
- इस आलेख को श्याम सुन्दर दास ने लिखा है।
- गोस्वामी और श्याम सुन्दर दास के संपादन में छपना शुरू हुआ।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और बाबू श्याम सुन्दर दास जैसे रचनाकार आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय थे।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और बाबू श्याम सुन्दर दास जैसे रचनाकार आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय थे।
- ५ ७ डॉ ० श्याम सुन्दर दास साहित्य को मानव मन और स्वभाव की उपज मानते हैं।
- इस समय बाबू श्याम सुन्दर दास, बी. ए. इस पत्रिका के सम्पादक हुआ करते थे:
- डॉ 0 श्याम सुन्दर दास ने इसे देवनागरी अक्षरों में आधुनिक पद्यति का वर्णक्रमानुसार संयोजित पहला एक भाषीय हिन्दी कोश माना है।
- और डॉ. श्याम सुन्दर दास ने इसे देवनागरी अक्षरों में आधुनिक पद्यति का वर्णक्रमानुसार संयोजित पहला एक भाषीय हिन्दी कोश माना है।
- मुझे श्याम सुन्दर दास की ग्रंथावली कतिपय कारणों से अधिक प्रामाणिक लगती है, हिन्दी जगत में उसकी स्वीकृत भी अपेक्षाकृत अधिक है।
- बेनीपुरी जी के दामाद पूर्व सांसद महत श्याम सुन्दर दास को वे पहुना और उनकी बेटी प्रभा बेनीपुरी को बबुनी कहा करते थे.
- 26 श्री श्याम सुन्दर दास, वल्द-तीतू हरिजन, ग्राम-सरैया, पंचायत-फागा, थाना-बौंसी, जिला-बांका, मो.
- महावीर प्रसाद द्विवेदी, श्याम सुन्दर दास, पद्म सिंह शर्मा, माधव प्रसाद मिश्र, पूर्णसिंह, चन्द्रधर शर्मा गुलेरी आदि के अवदान विशेषतः उल्लेखनीय हैं।
- नागरी प्रचारिणी सभा, काशी की ओर से यह १९०० में, राधाकृष्ण दास, कार्तिकप्रसाद खत्री, जगन्नाथ दास रत्नाकर, किशोरी लाल गोस्वामी और श्याम सुन्दर दास के संपादन में छपना शुरू हुआ।
- अधीनस्थ न्यायालय द्वारा दिया गया विनिश्चय तथा चेक 10ग को देखने पर मैंने पाया कि उपरोक्त चेक रणछोडदास प्रोप्राइटर द्वारा श्याम सुन्दर दास एण्ड संस के नाम से जारी किया गया है।
- डॉ. श्याम सुन्दर दास लिखते हैं-”इन सब बातों पर एक साथ विचार करने से यही सम्भव जान पड़ता है कि कबीरदास जी का जन्म संवत् 1456 में और मत्यु संवत् 1575 में हुई होगी।
- आधुनिक काल में बाबू श्याम सुन्दर दास, रामचन्द्र शुक्ल, रामचन्द्र वर्मा केसत्प्रयासों से नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी से 'हिन्दी शब्द सागर' (१९२२-२९) प्रकाशित हुआ जिसकी योजना २३-८-१९०७ की सभा के परम हितैषी और उत्साही सदस्यश्रीयुत रेवरेंड ई.
- नागरी प्रचारिणी सभा, काशी की ओर से यह १ ९ ०० में, राधाकृष्ण दास, कार्तिकप्रसाद खत्री, जगन्नाथ दास रत्नाकर, किशोरी लाल गोस्वामी और श्याम सुन्दर दास के संपादन में छपना शुरू हुआ।
- आधुनिक काल में बाबू श्याम सुन्दर दास, रामचन्द्र शुक्ल, रामचन्द्र वर्मा के सत्प्रयासों से नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी से 'हिन्दी शब्दसागर' (१९२२-२९) प्रकाशित हुआ जिसकी योजना २३-८-१९०७ की सभा के परम हितैषी और उत्साही सदस्य श्रीयुत रेवरेंड ई.
- इस समय बाबू श्याम सुन्दर दास, बी.ए. इस पत्रिका के सम्पादक हुआ करते थे:(स्पष्ट देखने के लिए चित्र पर चटका लगाएं)विज्ञापन का मजमून इस प्रकार है:सरकारी हुक्म हैकि पश्चिमोत्तर प्रदेश व अवध की सब अदालतों में हिन्दी जारी हो और सब अमले, वकील, मुख़तार, उम्मीदवार और अदालती लोग उर्दू के साथ-साथ हिन्दी पढ़ना लिखना भी सीखें।
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