| 1. | सारांश यह कि संचारी रूप में अमर्ष, त्रास,
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| 2. | के साथ संचारी रूप में आते हैं और कभी स्वतंत्र रूप में।
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| 3. | स्थायी दशा को विरूद्ध या अविरूद्ध कोई भाव संचारी रूप में आकर तिरोहित
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| 4. | प्रवर्तक भावों में स्थान न देकर आचार्यों ने हर्ष को केवल संचारी रूप में
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| 5. | अबतक भावों का जो वर्णन हुआ वह स्थायी संचारी रूप में संबद्ध मानकर हुआ है।
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