| 1. | संधिशोध में बाह्य लेप के रूप में भी इसे प्रयुक्त करते हैं ।
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| 2. | संधिशोध में इसे गुड़ के अनुपान से प्रयुक्त करने का विधान बताया गया है ।
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| 3. | संधिशोध में चाहे उनका कारण जीवाणु हो या वार्धक्य, यह तुरंत लाभ पहुँचाती है ।
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| 4. | संधिशोध के उपचार का लक्ष्य दर्द से मुक्ति दिलाना तथा प्रभावित जोड़ों के कार्यों की पुनर्स्थापना करना है।
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| 5. | संधिशोध में अथवा गठिया के दर्द में तुलसी का पंचांगचूर्ण चार माशे गोदुग्ध के साथ प्रातः सायं लेते हैं ।
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| 6. | तुलसी का 2 ग्राम पंचांग चूर्ण गाय के दूध के साथ सुबह शाम सेवन से संधिशोध और गठिया दर्द में लाभ देता हैं।
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| 7. | हकीमों के अनुसार जीर्ण संधिशोध में एक तोला सौंठ नियमित रूप से रात्रि को शयन के समय लेने से रोग शीघ्र ही मिट जाता है ।
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