संबंधों की ठंडक से पैदा हुआ अलगाव और यथार्थ से जूझती नायिका के द्वंद्व की संवेगात्मक अभिव्यक्ति है यह कहानी.
2.
यह समानतायें इस विचारधारा का समर्थन करती हैं कि हँसी एक संवेगात्मक अभिव्यक्ति है जो इन पाँचो प्रजातियों में समान रूप से व्याप्त है ।
3.
यह समानतायें इस विचारधारा का समर्थन करती हैं कि हँसी एक संवेगात्मक अभिव्यक्ति है जो इन पाँचो प्रजातियों में समान रूप से व्याप्त है ।
4.
डार्विन का ग्रंथ केवल विषयवस्तु के लिये ही विख्यात नहीं था बल्कि अपने उन चित्रों और रेखांकनों के लिये भी प्रसिद्ध था, जो मनुष्यों, गैर-मनुष्यों, और आदिम प्रजातियों के मध्य(जब वह असहायता या रोष में अपनी संवेगात्मक अभिव्यक्ति कर रहे होते थे) विचित्र समानताये दिखाते थे ।
5.
डार्विन का ग्रंथ केवल विषयवस्तु के लिये ही विख्यात नहीं था बल्कि अपने उन चित्रों और रेखांकनों के लिये भी प्रसिद्ध था, जो मनुष्यों, गैर-मनुष्यों, और आदिम प्रजातियों के मध्य (जब वह असहायता या रोष में अपनी संवेगात्मक अभिव्यक्ति कर रहे होते थे) विचित्र समानताये दिखाते थे ।