हमे जीवन मे सफलता और असफलता को समान रूप स्वीकार करना चाहिए! जीवन सभी परीक्षाओ से परे है हर परिस्थति मे अपने को शांत रखे! बाकि सब ठीक है असफलता और सफलता मे समता रखना ही आपको जीवन मे वास्तविक सफलता दिलाता है!
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सम्यक संकल्प मे आता है, चित्त से राग-द्वेष नहीं करना, ये जानना की राग-द्वेष रहित मन ही एकाग्र हो सकता है, करुणा, मैत्री, मुदिता, समता रखना, दुराचरण (सदाचरण के विपरीत कार्य) ना करने का संकल्प लेना, सदाचरण करने का संकल्प लेना, धम्म पर चलने का संकल्प लेना।