1848 की क्रांति के दौरान यूरोप में संदेश वाहक के रुप में कबूतरों का व्यापक इस्तेमाल हुआ था और 1849 में बर्लिन व ब्रूसेल्स के बीच टेलीग्राफ़ सेवा भंग होने पर कबूतरों को ही संदेश वाहक रुप में प्रयुक्त किया गया था।
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अगर यह सेवा भंग कर दी जाये और प्रशासनिक सेवा के माध्यम के बतौर सिर्फ रा ष्ट्र भाषा या मातृभाषा की सीमा तय कर दी जाये तो नतीजा देने वाली नौकरशाही अस्तित्व में आ जायेगी जो खुद की प्रति ष्ठा के लिये भी सचेत होगी और देश के लिये भी।