लेकिन मुनाफों के लालच में मनुष्य द्वारा यह ' स्वजातिभक्षण ' गायों पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है।
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7वीं शताब्दी में बुद्ध धर्म के आगमन से पहले, तिब्बत में मानव बलि तथा स्वजातिभक्षण निस्संदेह ही विद्यमान थे.
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7वीं शताब्दी में बुद्ध धर्म के आगमन से पहले, तिब्बत में मानव बलि तथा स्वजातिभक्षण निस्संदेह ही विद्यमान थे.
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के भारत में अनधिकृत रूप से आ धमकने से यहाँ के देशज मत्स्य संपदा के सामने संकट की स्थति आ गयी थी-क्योकि यह एक भयंकर मांसाहारी मछली है और अपने बच्चों तक को उदरस्थ कर लेती है...मतलब इसमें स्वजातिभक्षण का भी दुर्गुण है..