To any sentient person, it is obvious that Israelis are 100-percent justified to protect themselves from wanton attacks. A cartoon from the Hizbullah War of 2006 symbolically showed a Palestinian terrorist shooting from behind a baby carriage at an Israeli soldier in front of a baby carriage. The clearest difference between the two sides. किसी भी समझदार व्यक्ति के लिये तो यह स्वाभाविक है कि इजरायल को किसी भी अनावश्यक आक्रमण से स्वयं को बचाने का न्यायसंगत अधिकार है। 2008 -09 के प्रथम इजरायल हमास युद्ध के दौरान प्रतीकात्मक रूप से एक कार्टून दिखाया गया था कि फिलीस्तीनी आतंकवादी बच्चे को घुमाने वाली ठेली के पीछे से गोली चला रहा है जबकि इजरायल का सैनिक बच्चे को घुमाने वाली ठेली के सामने से गोली चला रहा है।
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To any sentient person, it is obvious that Israelis are 100-percent justified to protect themselves from wanton attacks. A cartoon from the Hizbullah War of 2006 symbolically showed a Palestinian terrorist shooting from behind a baby carriage at an Israeli soldier in front of a baby carriage. The clearest difference between the two sides. किसी भी समझदार व्यक्ति के लिये तो यह स्वाभाविक है कि इजरायल को किसी भी अनावश्यक आक्रमण से स्वयं को बचाने का न्यायसंगत अधिकार है। 2008 -09 के प्रथम इजरायल हमास युद्ध के दौरान प्रतीकात्मक रूप से एक कार्टून दिखाया गया था कि फिलीस्तीनी आतंकवादी बच्चे को घुमाने वाली ठेली के पीछे से गोली चला रहा है जबकि इजरायल का सैनिक बच्चे को घुमाने वाली ठेली के सामने से गोली चला रहा है।
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With loyalties now in play, wars are decided more on the Op Ed pages and less on the battlefield. Good arguments, eloquent rhetoric, subtle spin-doctoring, and strong poll numbers count more than taking a hill or crossing a river. Solidarity, morale, loyalty, and understanding are the new steel, rubber, oil, and ammunition. Opinion leaders are the new flag and general officers. Therefore, as I wrote in August, Western governments “need to see public relations as part of their strategy.” A simple cartoon can have a major impact, such as this one contrasting the role of baby carriages for Palestinian terrorists and Israeli soldiers. जैसे-जैसे स्वामिभक्ति के साथ खेल हो रहा है उसी प्रकार युद्ध का निर्धारण अब युद्ध क्षेत्र के स्थान पर सम्पादकीय विचारों से होने लगा है. अच्छे तर्क, स्पष्ट वाग्जाल, नाजुक प्रबन्धन और मजबूत मतदान संख्या किसी नदी या पहाड़ी को पार करने से अधिक महत्वपूर्ण हो गये हैं. एकता, मनोबल और आपसी समझबूझ अब नये स्टील,रबर, तेल और हथियार बन चुके हैं. जनमत निर्माता नये ध्वज और जनरल के कार्यालय बन चुके हैं. इसलिये अगस्त में मैंने लिखा था कि पश्चिमी सरकारों को जन सम्पर्क को अपनी रणनीति का एक अंग मानकर चलना चाहिये.