अब यदि प्रस्थछेद एक समान है और चिह्न बराबर दूरियों पर हैं तो दूसरा शोधन हमें अधोबिंदु और ऊर्ध्वबिंदु के लिए करना पड़ता है।
12.
प्रकाश अतिचार को ऐसे प्रकाश जुड़नार के चयन से कम किया जा सकता जो अधोबिंदु से ऊपर 80 डिग्री से ज्यादा उत्सर्जित प्रकाश की मात्रा को सीमित करता है .
13.
प्रकाश अतिचार को ऐसे प्रकाश जुड़नार के चयन से कम किया जा सकता जो अधोबिंदु से ऊपर 80 डिग्री से ज्यादा उत्सर्जित प्रकाश की मात्रा को सीमित करता है .
14.
“प्रत्यक्ष” आकाश-प्रदीप्ति को ऐसे प्रकाश जुड़नार के चयन द्वारा कम किया जा सकता है जो अधोबिंदु के ऊपर 90 डिग्री से अधिक उत्सर्जित प्रकाश की मात्रा को सीमित करता है .
15.
अतः प्रस्तुत परिस्थितियों में तापमापक के अधोबिंदु तथा ऊर्ध्वबिंदु के पाठ लिए जाते हैं और प्रामाणिक तापमापक के पाठों से तुलना कर दोनों बिंदुओं के संशोधन का मान निकाला जाता है।
16.
अतः प्रस्तुत परिस्थितियों में तापमापक के अधोबिंदु तथा ऊर्ध्वबिंदु के पाठ लिए जाते हैं और प्रामाणिक तापमापक के पाठों से तुलना कर दोनों बिंदुओं के संशोधन का मान निकाला जाता है।
17.
किसी स्थान पर सूर्य द्वारा याम्योत्तर वृत्त के अधोबिंदु की एक परिक्रमा को एक दृश्य दिन कहते हैं , तथा सूर्य की किसी स्थिर नक्षत्र के सापेक्ष एक परिक्रमा को नाक्षत्र दिन कहते हैं।
18.
किसी स्थान पर सूर्य द्वारा याम्योत्तर वृत्त के अधोबिंदु की एक परिक्रमा को एक ' दृश्य दिन' कहते हैं, तथा सूर्य की किसी स्थिर नक्षत्र के सापेक्ष एक परिक्रमा को 'नाक्षत्र दिन' कहते हैं।
19.
किसी स्थान पर सूर्य द्वारा याम्योत्तर वृत्त के अधोबिंदु की एक परिक्रमा को एक दृश्य दिन कहते हैं , तथा सूर्य की किसी स्थिर नक्षत्र के सापेक्ष एक परिक्रमा को नाक्षत्र दिन कहते हैं।
20.
किसी स्थान पर सूर्य द्वारा याम्योत्तर वृत्त के अधोबिंदु की एक परिक्रमा को एक ' दृश्य दिन' कहते हैं, तथा सूर्य की किसी स्थिर नक्षत्र के सापेक्ष एक परिक्रमा को 'नाक्षत्र दिन' कहते हैं।