इसके विरुद्ध वे कहते हैं-- " जबउत्पाद के पूर्व कोई अनुत्पन्न घट नहीं है तो उसकी उत्पत्ति-क्रिया कीअपेक्षा करके उत्पाद कहना ठीक नहीं.
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/ ref > , सदसदनुपपत्तियुक्ति ref > रूप आदि वस्तुएं , स्वभावत : अनुत्पन्न हैं , हेतु के काल में सत् अथवा असत् होते हुए उत्पन्न न होने से।
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/ ref > , सदसदनुपपत्तियुक्ति ref > रूप आदि वस्तुएं , स्वभावत : अनुत्पन्न हैं , हेतु के काल में सत् अथवा असत् होते हुए उत्पन्न न होने से।
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/ ref > , वज्रकणयुक्ति ref > रूप आदि वस्तुएं , स्वभावत : अनुत्पन्न हैं , स्वत : परत : उभयत : एवं अहेतुक : उत्पन्न न होने से।
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/ ref > , वज्रकणयुक्ति ref > रूप आदि वस्तुएं , स्वभावत : अनुत्पन्न हैं , स्वत : परत : उभयत : एवं अहेतुक : उत्पन्न न होने से।
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सम्यक समाधि मे आता है , अनुत्पन्न पाप धर्मो को ना उत्पन्न होने देना , उत्पन्न पाप धर्मो के विनाश मे रुचि लेना , अनुत्पन्न कुशल धर्मो के उत्पत्ति मे रुचि , उत्पन्न कुशल धर्मो के वृद्धि मे रुचि।
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सम्यक समाधि मे आता है , अनुत्पन्न पाप धर्मो को ना उत्पन्न होने देना , उत्पन्न पाप धर्मो के विनाश मे रुचि लेना , अनुत्पन्न कुशल धर्मो के उत्पत्ति मे रुचि , उत्पन्न कुशल धर्मो के वृद्धि मे रुचि।
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सम्यक समाधि मे आता है , अनुत्पन्न पाप धर्मो को ना उत्पन्न होने देना , उत्पन्न पाप धर्मो के विनाश मे रुचि लेना , अनुत्पन्न कुशल धर्मो के उत्पत्ति मे रुचि , उत्पन्न कुशल धर्मो के वृद्धि मे रुचि।
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सम्यक समाधि मे आता है , अनुत्पन्न पाप धर्मो को ना उत्पन्न होने देना , उत्पन्न पाप धर्मो के विनाश मे रुचि लेना , अनुत्पन्न कुशल धर्मो के उत्पत्ति मे रुचि , उत्पन्न कुशल धर्मो के वृद्धि मे रुचि।
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अनुचित नहीं गर्व क्षणभंगुर वर्तमान की जय का पर , अपने में डूब कभी यह भी तूने सोचा है, तेरे वर्तमान मन पर जिनका भविष्य निर्भर है, अनुत्पन्न उन शत-सहस्र मनुजॉ के मुखमंडल पर कौन बिम्ब, क्या प्रभा, कौन छाया पड़ती जाती है?